Wednesday 8 June 2011

‘जूतेबाज़ों’ का गुस्सा बिलकुल जायज़ है

ऐसा लग रहा जैसे विरोध में जूता चलाना एक नया चलन बनता जा रहा है | जूते मारने का प्रचलन  बाबर के समय से चलता आ रहा हैं | जंग के मैदान में तंबूं गड़े हुए थे। शाम होने की वजह से जंग रुक गई थी। दो सिपाही अपने तंबू के सामने एक-दूसरे पर जूता उछालने का खेल खेल रहे थे। एक सिपाही का फेंका हुआ जूता उधर से गुजर रहे एक आदमी को लग गया। उसने पलटकर देखा, मुस्कुराया और आगे बढ़ गया। उसकी शक्ल देखते ही दोनों सिपाहियों की जान सूख गई। उन्हें पूरी उम्मीद हो गई कि अब सर कलम होगा। दरअसल वह आदमी मुगल शहंशाह बाबर था, जो शाम की नमाज अदा करने बड़े तंबू की तरफ जा रहा था।
कई सदियां गुजर गई हैं और जूता लोकतांत्रिक हो गया है। अब जूता किसी पर गलती से नहीं बल्कि जानबूझकर आज के शहंशाहों की तरफ उछाले जा रहे हैं। वर्ष 2008 बग़दाद में  मुंतजर-अल-जैदी द्वारा पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू. बुश पर जूता उछाला गया तो जैदी ने खूब वाहवाही बटोरी थी ,उसके बाद धीरे-धीरे चीनी राजनीति भी इसका शिकार हूई और अब भारत में भी इसका चलन बढता जा रहा हैं  ।भारत में जूते-चप्पल की संस्कृति विदेशों से आयातित है । अब तक सुरेश कलमाड़ी ने मोरार जी देसाई की कार पर अस्सी के दशक में जूता फेंका था | वहीँ प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, गृहमंत्री पी० चिदंबरम, भाजपा के पीएम इन वेटिंग लालकृष्ण आडवाणी, कांग्रेस नेता नवीन जिंदल, कर्नाटक के मुख्यमंत्री और चुनाव प्रचार कर रहे अभिनेता जीतेन्द्र के साथ ऐसी घटनाएँ हो चुकी हैं | 13 फ़रवरी 2009 को दिल्ली यूनिवर्सिटी में अरुंधती राय पर जूता फेंका गया था | ” यूथ यूनिटी फॉर वाइब्रेंट एक्शन ” ने कश्मीर मुद्दे पर अरुंधती की बयानबाजी को आड़े हाथों लेते हुए उस पर चप्पल फेंका था जिसे एक लाख रूपये में जंतर मंतर पर नीलाम भी किया गया था |
जूते फेंकने की इस घटना ने अब शाश्‍वत चिंता की शक्ल अख्तियार कर ली है | ये लोकतंत्र के लिए उचित नहीं है, कह कर कृपया इसे नजरअंदाज न करें। जो आज के नेता कर रहे हैं, वह भी लोकतंत्र के लिए शर्मनाक है। जब देश का हर आठवां लोक सभा प्रत्याशी करोड़पति हो और ७७ फीसदी अवाम यानी ८३.५ करोड़ लोगों की हर दिन की कमाई बीस रुपये हो, आधी आबादी साफ पानी और इलाज के लिए तरस रही हो, जब लोगों को इंसाफ मिलना बंद हो जाए तो निःसहाय अवाम ऐसे ही किसी रास्ते को चुनती है। और अब जूता खाने वालों में जनार्दन द्वेदी भी भारतीय हस्तियों में शरीक हो गए हैं , सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पार्टी महासचिव जनार्दन द्विवेदी पर एक शख्स ने जूता तान दिया।  प्रेस कॉनफ्रेंस के दौरान उसने द्विवेदी से बाबा काला धन के मसले पर रामदेव के आंदोलन के संबंध में कोई सवाल किया, जिसे द्विवेदी ने टाल दिया। इस बात का विरोध करने के लिए उसने जूता जनार्दन द्विवेदी पर तान दिया
हम सभी इस बात से वाकिफ हैं की लोकतंत्र में अपने आक्रोश की अभिव्यक्ति देने का सभी को हक़ हैं ,अपनी बात की ज्यादा से ज्यादा लोगो में प्रचारित करना और एक ही दिन में हीरो बनने के लिए पत्रकार अपनी कलम से मेहनत करने के बजाए जूतों का सहारा लेने लग गए हैं |  ‘जूतेबाज़ों’ का गुस्सा बिलकुल जायज़ है। इस व्यवस्था से भी और इस राजनीतिक दशा से भी। ये भी सच है कि पिछले 60 सालों में हर पार्टी ने इस देश को कई तरह से ठगा है, लेकिन इसके लिये जिस पर जूता चलना चाहिये क्या ये वही लोग हैं? क्या जूते का निशाना सही लोगों पर है?अब पब्लिक झूठे वादे सुनने को तैयार नहीं है। ये घटनाएं जाहिर करती हैं कि अब अवाम को नेताओं पर यकीन नहीं है और न उनके लिए मन में कोई इज्जत बची है। इसके लिए पब्लिक नहीं नेता जिम्मेदार हैं। याद करें कि सांसद पर आतंकी हमले की घटना के बारे में सुनने के बाद लोगों की सहज प्रक्रिया थी, कोई नेता नहीं मरा।
जूता प्रतिरोध का प्रतीक बनता जा रहा है। अगर ये नेता नहीं बदले तो ऐसे विरोध जोर पकड़ेंगे। निरीज जनता के पास शायद इससे सहज और कोई तरीका नहीं बचा है। सत्ता के कान तो शहीद भगत सिंह के समय में ही बहरे हो गए थे। लाचार जनता की आवाज इन नेताओं तक जब नहीं पहुंच रही हैं, लेकिन जूता जरूर पहुंच रहा है और अपनी पूरी बात आसानी से रख रहा है। ये दिखता भी है और डराता भी है।

4 comments:

  1. sarkar ne aaj sayed hamare pass koyi vikalp nahi choda hai isleye unhe ab joote ka sahara lena par raha hai

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  2. kehney ko humarey bahrat mein 60 salon sey loktantra hein par vastvikta ye hein ki loktantra ka abhi tak vikas hii sahi tarh sey nahi ho paya

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  3. nischit roop se bhartiya rajneetik vyavastha par se aur khaskar rajnetao par se, fir chahe wo congress ke ho ya bjp ke ya koi aur, janta ka vishwas uth gya hai. log bhrastachar aur nikammepan jaise shabdo ko rajnetao se hi jodte hai...ye joote chappal shayad netao se zyada netao aur janta ke beech bn rhe shoonya ki ore feka ja rha hai...

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  4. ji bilkul mein aapki baat sey sehmat hoo..........yahn ladayi janta ki

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