मशहूर चित्रकार एमएफ हुसैन का लंदन के रॉयल ब्राम्पटन अस्पताल में इलाज के दौरान निधन हो गया है | 95 वर्षीय हुसैन काफी लम्बे समय से बीमार चल रहे थे |वह 2006 से लंदन में ही रह रहे थे। महाराष्ट्र के पंढ़रपुर में जन्मे हुसैन ने अपनी पंटिंग की शुरुआत 1990 में ज्यूरिख से की ,ज्यूरिख में सबसे पहली पेंटिंग प्रदर्शनी लगायी थी वहीँ से ही उनकी ख्याति का विस्तार होता गया | सैन को भारत का पिकासो भी कहा जाता था |
बतौर चित्रकार हुसैन को 40 के दशक में ख्याति मिलनी शुरू हो गई थी 1990 उन्होंने बॉलीवुड स्टार माधुरी दीक्षित से प्रेरित होकर गजगामिनी पेंटिंग बनाई थी। इस पेंटिंग की वजह से उन्हें काफी ख्याति मिली। बाद में उन्होंने इसी नाम से एक फिल्म भी बनाई थी। 1
देवी दुर्गा और सरस्वती के उनके चित्रों पर हिन्दू समूहों ने तीखी प्रतिक्रिया जताई और 1998 में चित्रकार के घर पर हमला कर उनकी कलाकृतियों को नुकसान पहुंचाया गया। फरवरी, 2006 में हुसैन पर हिन्दू देवी-देवताओं के निर्वस्त्र चित्र बनाकर लोगों की भावनाएं आहत करने का आरोप लगा।
1966 में उन्हें पद्दमश्री से नवाज़ा गया था और 1973 में में पद्दभूषण से सम्मानित किया गया था. वह पिकासो के बाद सबसे ब़डे पेंटर माने जाते थे। मगर भारत में उनके साथ जिस तरह का व्यवहार हुआ, वह शर्मनाक था। कुछ कट्टरपंथियों के दबाव में आकर उन्हें देश निकाला दिया गया। हुसैन भारत आने के इच्छुक थे, पर उनकी यह इच्छा पूरी नहीं हो सकी | हुसैन के तीन चित्र हाल ही में हुई बोनहैम नीलामी में 2.32 करोड़ रुपये में नीलाम हुए। इसमें से एक अनाम तैलीय चित्र में इस किंवदंती चित्रकार ने अपने प्रिय विषय घोड़े और महिला को उकेरा था। अकेला यही चित्र 1.23 करोड़ रुपये में नीलाम हुआ।
भारत के मशहूर चित्रकार व फिल्म निर्माता-निर्देशक एम एफ हुसैन को आज भी लोग खरीदते हैं। उनका नाम आज भी कला प्रेमियों के जेहन में जिन्दा है।
बतौर चित्रकार हुसैन को 40 के दशक में ख्याति मिलनी शुरू हो गई थी 1990 उन्होंने बॉलीवुड स्टार माधुरी दीक्षित से प्रेरित होकर गजगामिनी पेंटिंग बनाई थी। इस पेंटिंग की वजह से उन्हें काफी ख्याति मिली। बाद में उन्होंने इसी नाम से एक फिल्म भी बनाई थी। 1
देवी दुर्गा और सरस्वती के उनके चित्रों पर हिन्दू समूहों ने तीखी प्रतिक्रिया जताई और 1998 में चित्रकार के घर पर हमला कर उनकी कलाकृतियों को नुकसान पहुंचाया गया। फरवरी, 2006 में हुसैन पर हिन्दू देवी-देवताओं के निर्वस्त्र चित्र बनाकर लोगों की भावनाएं आहत करने का आरोप लगा।
1966 में उन्हें पद्दमश्री से नवाज़ा गया था और 1973 में में पद्दभूषण से सम्मानित किया गया था. वह पिकासो के बाद सबसे ब़डे पेंटर माने जाते थे। मगर भारत में उनके साथ जिस तरह का व्यवहार हुआ, वह शर्मनाक था। कुछ कट्टरपंथियों के दबाव में आकर उन्हें देश निकाला दिया गया। हुसैन भारत आने के इच्छुक थे, पर उनकी यह इच्छा पूरी नहीं हो सकी | हुसैन के तीन चित्र हाल ही में हुई बोनहैम नीलामी में 2.32 करोड़ रुपये में नीलाम हुए। इसमें से एक अनाम तैलीय चित्र में इस किंवदंती चित्रकार ने अपने प्रिय विषय घोड़े और महिला को उकेरा था। अकेला यही चित्र 1.23 करोड़ रुपये में नीलाम हुआ।
भारत के मशहूर चित्रकार व फिल्म निर्माता-निर्देशक एम एफ हुसैन को आज भी लोग खरीदते हैं। उनका नाम आज भी कला प्रेमियों के जेहन में जिन्दा है।